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बदली हुई जलवायु में बेहतर तरीके से जीवित रह सकती है रायमुनिया | Lantana Camara can survive better in changed climatic conditions

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 वैश्विक जलवायु मेें तेजी से बदलाव देखे जा रहे हैं, इन परिस्थितियों में देसज और विदेशी आक्रामक प्रजातियां भी खुद को जीवित रखने के लिए प्राकृतिक तौर पर अनुकूल हो रही है। हालिया एक अध्ययन में सामने आया है कि रायुमनिया के नाम से देश में पैदा होने वाली एक विदेशी आक्रामक प्रजाति की खरपतवार (weed) लैंटाना कैमारा बदली हुई जलवायु का परिस्थितियों में बेहतर तरीके से जीवित रह सकती है। 

 

 

भारतीय जैव-विविधता पर विदेशी आक्रामक प्रजातियों से बहुत नुकसान हुआ है। इनमें से एक है रायमुनिया यानी लैंटाना कैमारा, जोकि एक विदेशी आक्रामक प्रजाति वाली खरपतवार और स्थानीय देशी प्रजातियों की कीमत पर यह भविष्य में जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत होने वाले परिदृश्य में भी जीवित रहेगी। इसका जिक्र इकोलॉजिकल प्रोसेसेज नामक जर्नल में एक अध्ययन के जरिए किया गया है।
 

 

2050 तक का फ्यूचर प्रोजेक्शन

ताजातरीन अध्ययन 'इकोलॉजिकल प्रोसेसेज' में प्रकाशित हुआ है,  इस अध्ययन न केवल सभी क्षेत्रों में लैॆंटाना कैमारा की वर्तमान उपलब्धता को स्थापित करने के बारे में लिखा है, बल्कि यह भी बताया है कि यब विदेशी आक्रामक खरपतवार 2020 से भविष्य यानी 2050 तक कितना बढोतरी का दायरा लेगी। 2050 तक के इसके लिए फ्यूचर प्रोजेक्शन के लिए अध्ययन ने  दो उप-क्षेत्रों में इसके प्रभुत्व के साथ सभी कृषि-जलवायु उप-क्षेत्रों में इसकी वितरण सीमा के संभावित विस्तार को इंगित किया है। 

हम, गंभीर आक्रमण के जरिए खतरे की कगार पर रहने वाले एल. कैमारा (रायमुनिया) के लिए संवेदनशील प्राकृतिक स्थलों को प्राथमिकता देने और आक्रमण के मुद्दों को हल करने के लिए देसज पेड़ और घास आधारित हस्तक्षेप मॉडल अपनाने की सलाह देते हैं। एल. कैमारा और अन्य समान आक्रामक प्रजातियों के हानिकारक प्रभावों के साथ लोगों को शिक्षित करने के लिए समृद्ध जैव विविधता और पर्यावरणीय सुधार और आउटरीच कार्यक्रमों का समर्थन करें।
-शोध-दल, रांची, झारखंड, भारत

  नया अध्ययन

देसी अछूते वनों में पनपने में असर्मथ है रायमुनिया

भविष्य (2050) के लिए लैंटाना कैमारा के आक्रमण के संभावित जोखिम क्षेत्रों के स्पष्ट करने के लिए अध्ययन में झारखंड से संबंधित क्षेत्रों को चुना गया।  नतीजों में देखा गया कि  एल. कैमारा के आक्रमण की उपस्थिति को झारखंड के 13 फीसदी  से अधिक भौगोलिक क्षेत्र- छोटानागपुर पठार में दिखाया गया, जो चार अलग-अलग तापमान वृद्धि की विशेषता के अनुसार उत्सर्जन परिदृश्यों के आधार पर 2050 तक 20-26 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। अध्ययन  'लैंटाना कैमारा आक्रमण के संभावित जोखिम क्षेत्र की मॉडलिंग और पूर्वी भारत में जलवायु परिवर्तन की प्रतिक्रिया' के अंतर्गत कहा गया है कि जांच ने यह भी दिखाया एल. कैमारा अक्षुण्ण देसी अछूते वनों में पनपने में असर्मथ है, जबकि यह कृषि भूमि के साथ, खुले में और अशांत वन क्षेत्र जैसे बेतला राष्ट्रीय उद्यान में व्यापक वितरण के साथ तेजी से पनपना है।

  पुराना अध्ययन

दुनियाभर में जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएंगी 173 प्रजातियां

दो साल पहले यानी 2020 में एक अध्ययन आया है, जिसे भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण ने भारत में आक्रामक विदेशी पौधों की 173 प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया था। अध्ययन में शामिल सबसे खतरनाक आक्रामक प्रजातियों में कैंटाना कैमारा के अलावा अल्टरनेथेरा फिलोसेरॉइड्स, पार्थेनियम हिस्टीरोपोपस,  कैसिया अनफ्लोरा, क्रोमोलाना एरोमाटा, इचोर्निआ क्रैसेप्स, प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा  आदि शामिल रखे गए।  अध्ययन में यूरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के 38 शोधकर्ता के दल को वियना विश्वविद्यालय के फ्रांज एस्सल और बर्नड लेनजर का नेतृत्व मिला है।  शोध-दल के इस अध्ययन का निष्कर्ष निकला था कि आक्रामक विदेशी प्रजातियों की आबादी में 30 फीसदी की वृद्धि होने से दुनिया भर में जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा। यह अध्ययन ग्लोबल चेंज बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था।

 

 


somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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