कम उम्र में भी दिल की धड़कनें बंद हो रही है। इसके पीछे भोजन बनाने या सलाद की ड्रेसिंग के उपयोग में लिया हुआ नमक भी जिम्मेदार हो सकता है।
नए शोध में पाया गया है कि सामान्य नमक की जगह कम सोडियम वाले नमक के इस्तेमाल से हार्ट स्ट्रोक का खतरा कम होता है। यह पहले से ही समझा गया था कि उच्च सोडियम और कम पोटेशियम का सेवन कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और समयपूर्व मौत के साथ-साथ उच्च रक्तचाप के बढ़ते जोखिम से संबंधित है, लेकिन स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ाने के लिए पोटेशियम के साथ नमक के उपयोग पर पहले शोध नहीं किया गया था।
20,000 से अधिक प्रतिभागियों पर अध्ययन
'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित शोध के अनुसार, 600 चीनी गांवों और 20,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ किए गए एक अध्ययन में पाया कि जिन लोगों ने सोडियम-आधारित नमक को पोटेशियम युक्त विकल्प के साथ बदल दिया और जिन्होंने नमक का सेवन कम कर दिया, उनके स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम थे और उनमें स्ट्रोक की संभावना कम या हृदय रोग की दिक्कतें मिली। सोडियम के विकल्प के रूप में 75% सोडियम क्लोराइड और 25% पोटेशियम क्लोराइड का मिश्रण अध्ययन के लिए उपयोग किया गया था। परिणाम बताते हैं कि कम सोडियम युक्त आहार लेने वालों की तुलना में सोडियम युक्त आहार लेने वाले लोगों में स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से मरने वाले तुलनात्मक तौर पर सोडियम युक्त आहार का अधिक इस्तेमाल करते थे।
नमक का विकल्प किफायती भी है
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि नमक का विकल्प बनाना बहुत आसान है और यह महंगा नहीं है। एक किलो नियमित नमक, जो महीनों तक चलता है, उसकी चीन में कीमत लगभग 1.08 अमरीकी डॉलर है। जबकि विकल्प के तौर पर उपयोग होने वाले एक किलो नमक की कीमत 1.62 अमेरिकी डॉलर है। कीमत में अधिक अंतर न होने की वजह से यह मुख्य रूप से कम आय और वंचित आबादी के भोजन तैयार करने के लिए बाधक नहीं होगा। यह आबादी खाने में नमक का उपयोग अधिक करती है, नमक के विकल्प से इनमें हृदय से संबंधित स्वास्थ्य असमानताएं कम देखने को मिल सकेंगी।
यह अध्ययन हमारे स्वास्थ्य पर होने वाले एक व्यवधान के बारे में स्पष्ट सबूत प्रदान करता है जिसे बहुत कम लागत पर बहुत जल्दी ठीक किया जा सकता है। चीन के लिए किए गए मॉडलिंग अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि अगर नमक का विकल्प प्रभावी साबित हुआ तो चीन में हर साल 365,000 स्ट्रोक और 461,000 समय से पहले होने वाली मौतों से बचा जा सकता है। खाने के उपयोग में नमक को बदल कर अरबों लोग और भी अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
प्रो. ब्रूस नील, प्रधान अन्वेषक, जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
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