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समुद्र के खारेपन में भारी वृद्धि होने के संकेत | Signs of a huge increasement in the salinity of oceans

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2060 तक 60 से 87 प्रतिशत तक बदल जाएगा समुद्री वातावरण

जलवायु परिवर्तन दुनिया के महासागरों की परिचित स्थितियों को बदल रहा है और नए वातावरण बना रहा है। इससे दुनिया के सबसे बड़े समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में समुद्री जीवों की रक्षा के प्रयासों कमजोर पड़ रहे हैं। एक नया शोध ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसमें 2030 तक समुद्र के खारेपन में भारी वृद्धि होने के संकेत दिखाई दिए हैं।

जलवायु परिवर्तन परिचित वातावरण को नष्ट कर देगा, नए बना देगा और समुद्री जीवन की रक्षा के प्रयासों को कमजोर कर देगा। शोधकर्ताओं ने कई जलवायु परिदृश्यों के विश्लेषण से पता किया है कि वर्ष 2060 तक 60 से 87 फीसदी महासागर में कई जैविक और रासायनिक बदलाव होने के आसार हैं, जैसे पानी के तापमान में वृद्धि, खारेपन का उच्च स्तर हगो जाना और ऑक्सीजन के स्तर में बदलाव आदि। वन अर्थ जर्नल में प्रकाशित इस शोध में ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क और इक्वाडोर में गैलापागोस मरीन रिजर्व जैसे बहुत बड़े समुद्री संरक्षित क्षेत्रों में बदलाव की दर और भी अधिक तेज रहने की उम्मीद है। शोध के मुताबिक यह रफ्तार 76 से 97 फीसदी तक होने का अनुमान है। शोध में स्पष्ट है कि समुद्र के खारेपन में 2030 तक भारी वृद्धि हो सकती है। महासागर के अम्लीकरण से समुद्री जल में कार्बोनेट की मात्रा कम हो जाती है, जो समुद्री जीवों, जैसे कोरल और सीप जैसे मोलस्क के लिए आवश्यक है, ताकि उनके गोले और कंकाल विकसित हो सकें।

एक जिक्र ने शोध का रास्ता सुझाया

प्रमुख शोधकर्ता स्टीवन माना'ओकामाई जॉनसन ने ओरेगन स्टेट में अपने डॉक्टरेट शोध प्रबंध के हिस्से के रूप में यह अध्ययन किया। शोध की अवधारणा उत्तरी मारियाना द्वीप समूह में सायपन के मूल निवासी जॉनसन, पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक अमेरिकी राष्ट्रमंडल और इंग्लैंड के मूल निवासी वॉटसन के बीच बातचीत से पैदा हुई थी, जिसमें इस बात का जिक्र था कि समुद्र की वह स्थितियां गायब हो गई हैं जिनका उन्होंने बचपन में अनुभव किया था। जॉनसन के अनुसार, हम सभी के पास ऐसे अनुभव हैं जिन्हें हम पर्यावरणीय परिस्थितियों के एक संग्रह के रूप में परिभाषित करते हैं। जो पहले से ही सायपन में विनाशकारी प्रवाल विरंजन की घटना जैसे जलवायु परिवर्तन प्रभावों को देख चुके हैं। उनके अनुसार,  तापमान, खारापन और ऑक्सीजन के स्तर जैसे गुणों से पता चलता हैं कि समुद्र का एक हिस्सा कैसा होगा। हम जिस महासागर के अनुभव के साथ बड़े हुए हैं और जिसकी यादें हमारे पोते-पोतियों के लिए अब मौजूद नहीं हैं।

तीनों परिदृश्यों में दिखेंगे असर

शोधकर्ताओं ने स्थिरता के माप के आधार पर पिछले 50 वर्षों की समुद्री स्थितियों के बारे में पता लगाया। इसके लिए उन्होंने जलवायु मॉडल का उपयोग करके यह देखा कि ग्रह के गर्म होने पर समुद्र की स्थितियों को प्रभावित करने वाले छह चीजें कैसे बदल सकती हैं। उन्होंने गंभीरता की बढ़ती डिग्री के साथ तीन बढ़ते तापमान के परिदृश्यों का उपयोग किया। इस परिदृश्यों में बढ़ते तापमान की संभावित, असंभावित और अत्यधिक असंभावित डिग्री शामिल हैं। जिनमें से सभी 20 साल पहले की तुलना में आज अधिक गर्म हैं। तीनों परिदृश्यों में, आधे से अधिक महासागर में स्थितियां बदलने जा रही हैं। यह स्थितियां पिछले 50 वर्षों की तुलना में नई और काफी अलग हैं।

पहले की तुलना में उतने ठंडे नहीं हैं कई स्थल

अधिकांश बदलाव महासागर के दो चरम सीमाओं में होते हैं जिनमें उष्णकटिबंधीय और आर्कटिक शामिल हैं। सबसे गर्म स्थान पहले कभी नहीं देखे गए, अब समुद्री पारिस्थितितंत्र पर अध्ययन करने वाले बढ़ते तापमान की स्थितियों को देख रहे हैं। सबसे ठंडे स्थान, जैसे आर्कटिक, अब  पहले की तुलना में उतने ठंडे नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि उनमें से अधिकतर बदलाव 2060 तक होंगे, हालांकि पीएच, या खारेपन के स्तरों में अधिकांश परिवर्तन दशक के अंत तक होने के आसार हैं।
यह परिवर्तन बहुत बड़े समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के लिए अधिक स्पष्ट है जो दुनिया भर में खतरे वाली प्रजातियों और प्रवाल भित्तियों जैसे दुर्लभ आवासों को संरक्षित करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। जैसे-जैसे समुद्र की स्थिति बदलती है, उन संरक्षित क्षेत्रों में जानवरों को अन्य स्थानों की तलाश करने की संभावना है जो उनके अस्तित्व के लिए अधिक अनुकूल हैं।  ये समुद्री संरक्षित क्षेत्र संरक्षण लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इसे स्थापित करने और काम करने के लिए बहुत अधिक राजनीतिक और सामाजिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता हो सकती है। हमारे विश्लेषण में, इनमें से 29 में से 28 क्षेत्रों में उन परिस्थितियों में बदलाव का अनुभव होगा जो संरक्षण लक्ष्यों को कमजोर कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं के निष्कर्ष इस बात की तस्वीर पेश करते हैं कि भविष्य में क्या हो सकता है क्योंकि धरती गर्म हो रही है। शोध समुदायों, नीति निर्माताओं और संरक्षित आवासों के प्रबंधकों को महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करता है। समुद्र की बदलती स्थितियां उन्हें कैसे प्रभावित कर सकती हैं और वे उन परिवर्तनों को कैसे हल कर सकते हैं।

बदलती परिस्थितियों का उन लोगों पर सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है, जिनकी परंपराएं और आजीविका समुद्र के संसाधनों पर निर्भर हैं। आज हमारे चारों ओर जो वातावरण है वह भविष्य में अस्तित्व में नहीं होगा। यह एक पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और आर्थिक नुकसान है जिसकी भरपाई हम नहीं कर सकते हैं।
जेम्स वाटसन,
सहायक प्रोफेसर और शोधकर्ता
कॉलेज ऑफ अर्थ, ओशन एंड एटमॉस्फेरिक साइंसेज,
अोरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी।


somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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