वैज्ञानिकों ने कहा है- गर्म पानी के ऊपर चक्रवातों की तीव्रता बढ़ने की संभावना अधिक होती है...
दोनों समुद्रों के सतह का तापमान असामान्य रूप से अधिक पाया गया
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-भुवनेश्वर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च-पुणे, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-खड़गपुर, और इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज ने पिछले साल कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान मार्च में किए अध्ययनों को भारतीय जयवायु परिवर्तन से जोड़ा है। अध्ययन में दोनों समुद्रों के सतह का तापमान असामान्य रूप से अधिक पाया गया है। आईआईटी- भुवनेश्वर और आईआईएसईआर- पुणे ने अध्ययन को विस्तार करते हुए बताया कि पिछले साल बंगाल की खाड़ी के ऊपर कुछ जगहों पर प्रदूषण वाले एरोसोल में गिरावट के कारण समुद्र की सतह का तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गया था।
लॉकडाउन के दौरान कम औद्योगिक और परिवहन गतिविधियां थीं
आईआईटी-भुवनेश्वर के प्रमुख शोधकर्ता वी विनोज ने बताया, "पिछले साल सख्त लॉकडाउन के उपायों ने प्रदूषण को कम किया, जिससे बंगाल की खाड़ी में औसतन 30% वार्मिंग हुई। महासागरों की एक लंबी मेमोरी होती है और वार्मिंग क्षेत्रीय मौसम के अनुसार हो सकती है, जिसमें अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में वृद्धि होना भी एक घटना है।" य़े बात गौर करने लायक है, जब एरोसोल सौर विकिरण को बिखेरते हैं, तो उनका कूलिंग प्रभाव होता है क्योंकि वे सौर विकिरण के एक हिस्से को वापस अंतरिक्ष में परावर्तित करते हैं। विनोज ने कहा, "लॉकडाउन के दौरान कम औद्योगिक और परिवहन गतिविधियां थीं, इसलिए इन एरोसोल में कमी आई और अधिक मात्रा में सौर विकिरण समुद्र की सतह तक पहुंचा है, जिससे गर्मी बढ़ती देखी गई।" उन्होंने जानकारी दी कि पहले से मौजूद उच्च गर्मी (एसएसटी), समुद्र की गर्मी की मात्रा में वृद्धि में एयरोसोल और बादलों ने भी अपनी भूमिका निभाई, ये सभी घटक किसी भी चक्रवाती गतिविधि को तेज करने के लिए सही सामग्री हो सकते हैं। हम वैज्ञानिक अभी भी इस पहलू का अध्ययन कर रहे हैं और जल्द ही अधिक निर्णायक निष्कर्ष के साथ आ सकते हैं।
कब हुआ अध्ययन
अध्ययन में मुख्य तौर कुछ अवधियों का विश्लेषण किया गया था, जिसमें 2003-2019 की अवधि और 2020 के कोविड -19 लॉकडाउन के प्रभाव की जांच करना शामिल हैं। इस स्टडी में हिंद महासागर की प्राथमिक उत्पादकता का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने 2020 को प्री-लॉकडाउन (1 जनवरी से 24 मार्च), लॉकडाउन (25 मार्च से 7 जून) और पोस्ट-लॉकडाउन (8-30 जून) की समय-सीमा में विभाजित किया। इन अध्ययनों को अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस' में स्थान मिला है।
गर्म पानी के ऊपर चक्रवातों की तीव्रता बढ़ने की संभावना अधिक होती है। वैज्ञानिकों और जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे एक इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ने कहा है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का गर्म होना भारत में हाल के तीव्र चक्रवातों और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
आई आईटी- भुवनेश्वर भी चक्रवात अम्फान पर लॉकडाउन के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है, जो मई 2020 में पश्चिम बंगाल से होकर गुजरा। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों पर लॉकडाउन अवधि में समुद्र की सतह के तापमान के गर्म होने का भी आईआईटी खड़गपुर और आईएनसीओआईएस द्वारा अध्ययन किया गया था।
कम प्रदूषण वाले एरोसोल सौर विकिरण के विक्षेपण को कम कर सकते हैं, जो तब लॉकडाउन अवधि के दौरान हिंद महासागर के तापमान में वृद्धि कर सकते थे। कुणाल चक्रवर्ती, वरिष्ठ वैज्ञानिक, एनसीओआईएस
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण हिंद महासागर की प्राथमिक उत्पादकता में कमी आई है। . एसएसटी में वृद्धि ने क्लोरोफिल खिलने और समुद्र की प्राथमिक उत्पादकता को भी प्रभावित किया था।
जयनारायणन कुट्टीपुरथ, वैज्ञानिक
सेंटर फॉर ओशन्स, रिवर, एटमॉस्फियर एंड लैंड साइंसेज, आईटी खड़गपुर
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