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3,800 साल पहले इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप आया था | Largest earthquake in HISTORY hit 3,800 years ago and caused a huge tsunami more than 5,000 miles away

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मानव इतिहास के अब तक के सबसे बड़े और भयंकर भूकंप के प्रमाण मिले हैं। पुरातत्वविदों ने 3,800 साल पहले आए इस विभत्स भूकंप को रिक्टर स्केल पर 9.5 का परिमाप (मैग्नीट्यूड) दिया है। नए अध्ययन ने यह भी सामने रखा है कि इस भूकंप ने भयंकर सुनामी जैसी विशाल लहर को जन्म दिया था, जिसने करीब 5,000 मील  (8,000 किमी.) दूर मानव आबादी को समुद्र तटों को छोड़ने के लिए बाध्य किया था।

एक नए अध्ययन से पता चला है कि अटाकामा रेगिस्तान में आए एक बड़े भूकंप ने सुनामी की शुरुआत की, जिसकी लहर 5,000 मील दूर की यात्रा कर न्यूजीलैंड पहुंची थी।

  ...वाल्डिविया भूकंप से भी बड़ा था

धरती पर दो स्थान, दोनों में समानता है भू-कंपन की, जो रिक्टर स्केल पर 9.5 आंकी गई, दोनों स्थानों के बीच में करीब 5,000 मील का फासला था। एक स्थान यानी उत्तरी चिली में बहुत ही भयंकर, अब तक का सबसे बड़ा भूकंप आया और दूसरा स्थान यानी न्यूजीलैंड में महासुनामी आई, इस सुनामी ने वहां के समुद्र-तटों पर मानव आबादी को 1000 वर्षों तक बसने न दिया। 

पुरातत्वविदों ने एक नए अध्ययन के माध्यम से इको मानव इतिहास में सबसे बड़ा भूकंप चिह्नित किया है, जो 1960 में दक्षिणी चिली में आए वाल्डिविया भूकंप से भी बड़ा था, इसकी तीव्रता 9.4 और 9.6 के बीच की थी, जिसने  करीब 6,000 लोगों को मौत के घाट उतारा था और इतना ही नहीं, इस भूकंप की तीव्रता की वजह से प्रशांत महासागर में बार-बार सुनामी आई थी।

 

 1,000 किमी लंबी दरार

अब बात की जाए, उत्तरी चिली में आए भूकंप की, इस के बारे में साइंस एडवांसेज जर्नल में 6 अप्रैल को प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने विस्तार से बताया। साउथेम्पटन विश्वविद्यालय की शोधकर्ताओं ने इसे नया सबसे प्राचीन मेगाक्वेक माना है,  जो लगभग 620 मील (1,000 किमी) लंबी दरार फटने की वजह से हुआ था। 

 कैसे आया इतना महा-भूकंप

जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में रगड़ खाती हैं, तो दरार उत्पन्न होती है या जमीन को फाड़ देती हैं। जितनी देर तक यह घर्षण चलता है, उतनी ही लम्बाई वाली टूटन देखने को मिलती है। नए अध्ययन में अटाकामा मरुस्थल तट से लगभग एक हजार किमी. लंबी एक फटी भूमि के प्रमाण मिले हैं और यह वास्तव में बहुत बड़ी फांक है। 

  वेग में सैकड़ों मील बहे थे शिलाखंड

जर्नल में छपे शोध के अनुसार, भूकंप लगभग 3,800 साल पहले आया था, जो क्षेत्र अब उत्तरी चिली में है। उस समय  एक टेक्टोनिक प्लेट के टूटने से क्षेत्र की तटरेखा ऊपर उठ गई थी, जिसकी वजह से बाद में सुनामी आई, जो बहुत शक्तिशाली थी, क्योंकि इसकी लहरें 66 फीट (20 मीटर) तक ऊंची उठीं थी और पूरे न्यूजीलैंड तक भीतरी स्थलों का भ्रमण करते-करते सैकड़ों मील चलीं थी। इस सफर में लहरों की तीव्रता और मारक क्षमता इस कदर दिखी कि कार के आकार के शिलाखंड (बोल्डर) वेग की वजह से तितर-बितर हुए। आज भी कई स्थानों पर ये देखे जा सकते हैं, इनसे पुरातत्वविदों ने साक्ष्य जुटाए हैं।

 

 एक अध्ययन के सवाल का जवाब दूसरे अध्ययन ने दिया

'साइंस एडवांस' में प्रकाशित किए गए इस अध्ययन का नेतृत्व चिली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डिएगो सालाजार ने किया था, लेकिन इस अध्ययन के शुरू होने से पहले, साउथेम्पटन विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर जेम्स गोफ न्यूजीलैंड में चैथम द्वीप पर एक साइट की पड़ताल कर रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में शिलाखंड मौजूद थे, इनमें कुछ कारों के आकार के हैं, जिन्हें सैकड़ों मीटर के आंतरिक स्थलों पर फेंका गया था। ये शिलाखंड उत्तरी चिली में आए भूकंप के समय के लगभग उसी समय के पाए गए हैं।

यह महज इत्तेफाक है कि एक हफ्ते बाद, प्रो. गोफ को उत्तरी चिली में उन साइटों का अध्ययन करने के लिए प्रो. सालाजार की टीम में शामिल होने का न्यौता मिला, उनकी यही मेहनत अध्ययनों को नतीजे तक ले आई। उनके नतीजे प्रशांत क्षेत्र में भूकंप और सुनामी के खतरों को समझने के लिए एक बहुत ही अहम और गहन संदर्भ के लिए मंच प्रदान करते हैं और ये बताते हैं कि अगली बार अगर ऐसा महा-भूकंप हुआ, तो उसका प्रभाव कितना गंभीर होगा।

न्यूजीलैंड में हमने कहा था कि उन पत्थरों को केवल उत्तरी चिली से सुनामी द्वारा स्थानांतरित किया जा सकता था और इसे उत्पन्न करने के लिए 9.5 तीव्रता वाले भूकंप की तरह कुछ होना चाहिए। इस प्रश्न का उत्तर अब हमने यहां खोज लिया।
प्रो. जेम्स जोफ, साउथेम्पटन विश्वविद्यालय


कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल किया

सुनामी आई, बहुत कुछ बहाकर लाई, बहुत कुछ समुद्री जमीन के अंदर धंसा गई। समुद्र के पेट में क्या-क्या जमा है, इसको बेहतर समझने के लिए शोधकर्ताओं ने रेडियोकार्बन डेटिंग का इस्तेमाल किया। इस पद्धति में कार्बन 14 की मात्रा को मापना शामिल रहा था, जो एक रेडियोधर्मी कार्बन आइसोटोप है। चिली के उत्तरी तट के 370 मील (600 किमी) से अधिक स्थलों पर सात अलग-अलग खुदाई में 17 तलछट (डिपोजिट्स) को डेटिंग किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि बाहर की तटीय सामग्री की आयु लगभग 3,800 साल देखी गई, जब आंतरिक स्थलों को सुनामी की लहरों ने धोया था।

 पुरातत्वविदों द्वारा खोदी गई प्राचीन पाषाण संरचनाओं के रूप में और भी साक्ष्य मिले। मानवनिर्मित पत्थर की दीवारें, सुनामी के डिपोजिस्ट्स  के नीचे पड़ी पाई गईं और कुछ पीछे की ओर पड़ी हुई थीं, जो समुद्र की ओर संकेत करती थीं। शोधकर्ताओं ने इस तरह नतीजा निकाला कि सुनामी के बैकवाश की मजबूत धाराओं ने उन्हें गिरा दिया होगा।

somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।
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