चंद्र चक्र मनुष्यों में नींद को प्रभावित करता है, महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नींद लेने के तरीकों में परिवर्तन के लिए बाध्य करता है। इसका खुलासा स्वीडन के एक इलाके के रहवासियों से जुटाए आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है।
उप्साला विश्वविद्यालय में न्यूरोसाइंस विभाग के शोधार्थियों ने जिस अध्ययन को अंजाम दिया है, उसमें उन्होंने न्यू मून और फुल मून दोनों चंद्र चक्र के दौरान नींद के स्तर का आकलन किया है। अमावस्या के बाद के दिन से पूर्णिमा के दिन तक, जिसे वैक्सिंग चरण भी कहा जाता है, उस दौरान चंद्रमा की रोशनी बढ़ जाती है और चंद्रमा के मेरिडियन का समय, यानी, जब चंद्रमा आकाश में उच्चतम स्थान पर पहुंच जाता है, तो धीरे-धीरे दोपहर से मध्यरात्रि की ओर स्थानांतरित हो जाता है। इसके विपरीत, पूर्णिमा के बाद के दिन से लेकर अमावस्या तक, जिसे घटती अवस्था / वैनिंग भी कहा जाता है, उस दौरान चंद्रमा की रोशनी कम हो जाती है और चंद्रमा के मध्याह्न का समय धीरे-धीरे रात के समय से दोपहर की ओर स्थानांतरित हो जाता है। ये दोनों चरण इंसानों के जीवन में खास तौर पर मन-मस्तिष्क से जुड़ी चीजों को प्रभावित करते हैं। यही बात इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिस्चियन वेनेडिक्ट ने सामने रखी है।
'साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट' जर्नल में प्रकाशित हुए इस नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने चंद्र चक्र के वैक्सिंग और वैनिंग चरणों के बीच के अंतर पर ध्यान केंद्रित किया और पाया अमावस्या और पूर्णिमा दोनों चंद्र चक्र के दौरान महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं।
निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने स्वीडन के उप्साला में रहने वाले 852 प्रतिभागियों (22-81 वर्ष) से एक रात की नींद की रिकॉर्डिंग प्राप्त की। शोधकर्ताओं ने बताया कि हमें उम्मीद थी कि वैक्सिंग चरण और वैनिंग चंद्र चक्रों के दौरान प्रतिभागियों की नींद की शुरुआत में कुछ प्रभाव देखने को मिलेगा और हुआ भी एेसा, वैक्सिंग के दौरान प्रतिभागियों को देर से नींद आई और वैनिंग चरण की तुलना में उनमें नींद की कुल अवधि भी कम देखने को मिली। शोधकर्ताओं ने कहा, "पिछले निष्कर्षों के प्रकाश में हमने यह भी अनुमान लगाया था कि नींद के साथ चंद्र चक्र का संबंध लिंगों (स्त्री या पुरुष) के बीच भिन्न होगा।" शोध के नतीजों में देखा गया, इंसानों की नींद 29.53-लंबे (घंटे) चंद्र चक्र में काफी भिन्न हो सकती है, जिसमें वैक्सिंग चरण के दौरान रातों में औसतन कम और कम बेहतर नींद आती है।
डॉ बेनेडिक्ट ने कहा, "हमने 492 महिलाओं और 360 पुरुषों से एक रात की घर पर नींद की रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल किया।" हमने पाया कि जिन पुरुषों की नींद, चंद्र चक्र की वैक्सिंग अवधि में रात के दौरान दर्ज की थी, उनकी नींद का स्तर कम था और नींद के आने के बाद ही जागने का समय अधिक था। इसके विपरीत, चंद्र चक्र से महिलाओं की नींद काफी हद तक अप्रभावित रही।"
शोध के अनुसार, एख तरीके के जरिए चंद्र नींद को प्रभावित करता है। असल में वह सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हुए ही इंसानों पर प्रभाव डालता है, जब लोग आमतौर पर बिस्तर पर जाते हैं। "इसके अलावा, इस अध्ययन ने सुझाव दिया है कि पुरुष मस्तिष्क, महिलाओं की तुलना में व्यापक प्रकाश के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील हो सकता है।
एसएम जर्नल अॉफ बायोमेट्रिक्स एंड बायोस्टेस्टिक्स में 2017 में भारत और बांग्लादेश के शोधकर्ता ने 11369 रोगियों पर चंद्रमा के चक्रों का अध्ययन किया था, जिसमें ये पाया गया कि मायोकार्डियल इंफार्कशन (रोधगलन को दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है, जिससे दिल की कोशिकाएं मर जाती हैं।) और चंद्र के गुरुत्वाकर्षण में संबंध है और रोगियों को आराम करने की अवस्था में भी सीने में दर्द महसूस हुआ था और उनके सीरम क्रिटिनीन के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई थी।
इसी जर्नल में एक अन्य अध्ययन में चंद्रमा के चक्र और धमनी पर मौसमी फर्क को जांचा गया और पाया गया कि सर्जरी के दौरान मौत की रिस्क कितनी है और बचने वाले रोगी कितने समय तक अस्पताल में रह पाते हैं।
2021 में वर्ल्ड जर्नल अॉफ फार्माक्यूटिकल्स रिसर्च में 'रक्तचाप और उच्च रक्तचाप पर चंद्र चरणों के प्रभाव का अध्ययन' सामने आया था कि चंद्र चक्र के विशेष दिनों जैसे अमावस्या, पूर्णिमा पर चंद्र रिदम के विभिन्न चरणों पर सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव में कम उतार-चढ़ाव पाया गया है, हालांकि जिस उद्देश्य से अध्ययन को किया गया था, उसमें रक्तचाप का असर उम्र, लिंग के आधार, बीएमआई, शारीरिक गतिविधि, तनाव, आदि के आधार पर बदलता हुआ पाया गया।
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें