"Zuchongzhi 2.1," वर्तमान सबसे तेज सुपरकंप्यूटर से 10 मिलियन गुना तेज है और इसकी जटिलतम गणना करने की क्षमता Google के Sycamore प्रोसेसर की तुलना में 1 मिलियन गुना अधिक है। 2019 में Google के क्वांटम कंप्यूटर ने 200 सेकंडस् में एक गणना की, जिसे करने में दुनिया के सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर को 10,000 साल लगेंगे। यह दुनिया के पहले पूर्ण रूप से कार्यात्मक क्वांटम कंप्यूटर (53 qubits) का सीड माना गया, जो बेहतर दवाएं बना सकता है, बेहतर कृत्रिम बुद्धिमत्ता से काम सम्पन्न कर सकता है और ब्रह्मांड की महान पहेलियों को पलक झपकने से पहले हल कर सकता है।
चीन ने सुपर फास्ट क्वांटम कंप्यूटर से दुनिया भर का ध्यान आकर्षित कर लिया है। क्वांटम सूचना प्रौद्योगिकी की सबसे सशक्त उभरती हुई तकनीक एक नए क्रांति को प्रज्ज्वलित करने जा रही है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था, सामाजिक प्रगति और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। चीन क्वांटम क्षेत्रों में सबसे आगे बढ़ रहा है और हालिया दावों से उसके क्वांटम कंप्यूटिंग विकास की गति का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। क्वांटम वर्चस्व के लिए अचानक से अमेरिका के दबदबा पर काबिज होते चीन ने एक नहीं दो-दो क्वांटम कंप्यूटर की खबर से सबको चौंका दिया है।
चीन में शोधार्थियों की दो टीमों ने दावा किया है कि वे अपने व्यक्तिगत क्वांटम कंप्यूटरों के साथ प्राइमेसी पर पहुंच गई हैं। दोनों टीमों का काम पूरे विस्तार के साथ *फिजिकल व्यू लेटर्स* नामक ख्यात जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि इन नए प्रयासों के लिए दोनों टीमें चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के लिए हेफ़ेई राष्ट्रीय प्रयोगशाला में काम कर रही थीं और दोनों का नेतृत्व नामी क्वांटम भौतिक विज्ञानी जियान-वेई पैन ने किया था।
दोनों शोध के प्रयासों में लक्ष्य एक ही रहा कि एेसे क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण किया जाए, जो क्वांटम सर्किट की आउटपुट संभावनाओं की गणना करने में सक्षम हो - एक ऐसा कार्य जो कुछ इनपुट और आउटपुट के साथ पारंपरिक कंप्यूटर के लिए अपेक्षाकृत सरल होता है, जबकि यह तब अव्यवहारिक और कठिन हो जाता, तब गणना करने के लिए इनपुट और आउटपुट की संख्या बढ़ने लगती है।
पहला प्रयास
चीनी शोधकर्ताओं ने अपने कंप्यूटर के निर्माण में एक फोटोनिक दृष्टिकोण का उपयोग किया। आउटपुट संभावनाओं के आकलन की समस्या से निपटने के लिए, टीम ने आउटपुट का विश्लेषण करने के तरीके के रूप में गॉसियन बोसॉन सैंपलिंग का इस्तेमाल किया। इस मामले में, 144-मोड इंटरफेरोमीटर से आउटपुट किया गया। इस परिदृश्य में, 10 टु द पावर 43 संभावित परिणाम हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी मशीन सुपरकंप्यूटर की तुलना में 10 टु द पावर 23 गुना तेजी से आउटपुट का नमूना लेने में सक्षम है, जिसका वे शोध-पत्र में क्वांटम प्रधानता को दर्शाने का दावा करते हैं।
दूसरा प्रयास
एक सुपरकंडक्टर-आधारित कंप्यूटर बनाना शामिल था जो 66 qubits का उपयोग करके गणना करने में सक्षम हो, हालांकि, शोध के दौरान 66 के बजाए कंप्यूटर ने केवल 56 qubits का उपयोग किया। फिर भी, शोधकर्ताओं ने मशीन को सर्वश्रेष्ठ सुपर कंप्यूटरों की तुलना में 1000 गुना तेजी से नमूना को गणना करने अनुमान लगाने में सक्षम पाया और यही वजह है कि उन्होंने क्वांटम प्रधानता हासिल करने का दावा प्रस्तुत किया है।
प्रसिद्ध चीनी क्वांटम भौतिक विज्ञानी जियानवेई पैन ने नेतृत्व में जिस शोध दल ने एक 66 qubits प्रोग्राम्ड सुपरकंडक्टिंग क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम तैयार किया, उसका नाम 5 वीं शताब्दी के चीनी गणितज्ञ और खगोलविद के नाम पर "ज़ुचोंगज़ी 2.1" (Zuchongzhi 2.1) रखा गया है।
"Zuchongzhi 2.1" ने "ज़ू चोंगज़ी" (Zu Chongzhi) नामक एक पुराने प्रोसेसर की तुलना में पहली बार क्वांटम एडवांटेज हासिल किया है, जो मई में पूर्वी चीन के अनहुई प्रांत की राजधानी हेफ़ेई स्थित यूएसटीसी की एक चीनी शोध टीम ने प्रोफेसर लू चाओयांग के नेतृत्व में डिजाइन किया, यह 62 qubits प्रोग्राम योग्य सुपरकंडक्टिंग क्वांटम प्रोटोटाइप था।
पैन की टीम ने 113 खोजे गए फोटोन्स के साथ एक नया प्रकाश-आधारित क्वांटम कंप्यूटर प्रोटोटाइप, "Jiuzhang 2.0" भी बनाया था, जो दुनिया के सबसे तेज मौजूदा सुपरकंप्यूटर की तुलना में बड़े पैमाने पर गाऊसी बोसॉन नमूनाकरण (जीबीएस) को 1 सेप्टिलियन गुना कैल्कुलेशन तेजी से कर सकता है। यह प्रोटोटाइप पिछले साल दिसंबर में तैयार किया गया था।
रोचक जानकारी
क्वांटम कंप्यूटिंग में, क्वांटम वर्चस्व या क्वांटम एडवांटेज - यह शब्द 2012 में सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी जॉन प्रेस्किल द्वारा गढ़ा गया था, लेकिन क्वांटम कम्प्यूटेशनल एडवांटेज की अवधारणा, विशेष रूप से क्वांटम सिस्टम के अनुकरण के लिए, 1980 में यूरी मैनिन और 1981 में रिचर्ड फेनमैन के क्वांटम कंप्यूटिंग के प्रस्तावों से शुरू होती है। क्वांटम कंप्यूटिंग 1980 में शुरू हुई जब भौतिक विज्ञानी पॉल बेनिओफ ने ट्यूरिंग मशीन के क्वांटम मैकेनिकल मॉडल का प्रस्ताव रखा। उन्हें ही क्वांटम कंप्यूटिंग का जनक माना जाता है। रिचर्ड फेनमैन और यूरी मैनिन ने बाद में सुझाव दिया कि एक क्वांटम कंप्यूटर में उन चीजों को अनुकरण करने की क्षमता होती है जो एक क्लासिकल कंप्यूटर नहीं कर सकता।
क्वांटम वर्चस्व के क्षेत्र में भारत कहां हैं
भविष्य की तकनीकों के अंतर्गत क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा में भारत के प्रयास बढ़ रहे हैं। क्वांटम वर्चस्व में अपना बेहतर स्थान बनाने के लिए प्रथम फरवरी को पेश किए गए 2020-21 के केंद्रीय बजट में पांच साल की अवधि में क्वांटम कंप्यूटिंग के लिए 8,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। सरकार ने कहा भी था कि इसका उपयोग क्वांटम टेक्नोलॉजीज और अनुप्रयोगों पर एक राष्ट्रीय मिशन के लिए किया जाएगा। खास बात यह भी है कि सरकार के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुरूप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने देश में क्वांटम कंप्यूटरों के निर्माण की नींव रखने के लिए क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST) कार्यक्रम भी शुरू किया। इसके बाद अगस्त में भारत सरकार ने QSim नामक देश के प्रथम क्वांटम कंप्यूटर सिम्युलेटर टूलकिट को लॉन्च किया, जो शोधकर्ताओं और छात्रों को क्वांटम कंप्यूटिंग में लागत प्रभावी शोध करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से जारी किया गया। QSim भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान सीमाओं को आगे बढ़ाने की आम चुनौती का समाधान करने के लिए देश की प्रथम पहलों में से एक है। यह परियोजना भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सहयोग से IISc बैंगलोर, IIT रुड़की और C-DAC द्वारा सहयोगात्मक रूप से निष्पादित की जा रही है।
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