'साजिनोम' किट
का उपयोग करके कैंसर, हृदय और तंत्रिका संबंधी विकार, बांझपन की समस्या आदि का परीक्षण किया जा सकता है। शोधकर्ता डॉ एम अय्यप्पन ( एचएलएल लाइफकेयर के पूर्व सीएमडी) और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के पूर्व निदेशक प्रो एम राधाकृष्ण पिल्लई ने इस दावे का जोरदार समर्थन किया है।
बीमारियों की संभावना लोगों की आनुवंशिक संरचना को समझकर और कंप्यूटर पर उनका विश्लेषण करके निर्धारित की जाती है। इस आनुवंशिक विश्लेषण पद्धति का उपयोग, उपचार विधियों और जीवन शैली में परिवर्तन का निर्देश देने के लिए किया जा सकता है। लोगों के घरों से लार के सैम्पल इकट्ठा करने की भी व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में नमूनों की जांच की जा रही है।
डॉ अय्यप्पन और प्रोफेसर राधाकृष्ण पिल्लई ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के थोन्नाक्कल में लाइफ साइंसेज पार्क के अंदर सरकार द्वारा आवंटित डेढ़ एकड़ के भूखंड में एक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।
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