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लार के सैम्पल बता देंगे 200 रोगों का सुराग | Saliva may give clues of 200 diseases

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'साजिनोम' किट का उपयोग करके कैंसर, हृदय और तंत्रिका संबंधी विकार, बांझपन की समस्या आदि का परीक्षण किया जा सकता है। शोधकर्ता डॉ एम अय्यप्पन ( एचएलएल लाइफकेयर के पूर्व सीएमडी) और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (आरजीसीबी) के पूर्व निदेशक प्रो एम राधाकृष्ण पिल्लई ने इस दावे का जोरदार समर्थन किया है।

 

बीमारियों की संभावना लोगों की आनुवंशिक संरचना को समझकर और कंप्यूटर पर उनका विश्लेषण करके निर्धारित की जाती है। इस आनुवंशिक विश्लेषण पद्धति का उपयोग, उपचार विधियों और जीवन शैली में परिवर्तन का निर्देश देने के लिए किया जा सकता है। लोगों के घरों से लार के सैम्पल इकट्ठा करने की भी व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में नमूनों की जांच की जा रही है। 

 

डॉ अय्यप्पन और प्रोफेसर राधाकृष्ण पिल्लई ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के थोन्नाक्कल में लाइफ साइंसेज पार्क के अंदर सरकार द्वारा आवंटित डेढ़ एकड़ के भूखंड में एक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी।

somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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