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कीमोथेरेपी के बाद भी नहीं झड़ेंगे बाल | Hair will not fall even after chemotherapy

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भारतीय मूल के शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा हाल ही में खोजी गई एक नई विधि से पता चलता है कि रोगियों में कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी से बालों के झड़ने को कैसे रोका जा सकता है, यकीनन यह आधुनिक कैंसर चिकित्सा के सबसे मनोवैज्ञानिक रूप से परेशान करने वाले दुष्प्रभावों में से एक है।


 

 

अनुसंधान दल ने सीडीके4/6 इनहिबिटर नामक दवाओं के एक नए वर्ग के गुणों का दोहन किया है, जो कोशिका विभाजन को रोकते हैं और तथाकथित "लक्षित" कैंसर उपचारों के रूप में ये पहले से ही चिकित्सकीय रूप से स्वीकृत हैं। 

 


इस अध्ययन की प्रमुख लेखक तलवीन पुरबा (मैनचेस्टर विश्वविद्यालय) ने कहा, "हमने पाया कि  सीडीके4/6 अवरोधकों का उपयोग अस्थायी रूप से बालों के रोम में अतिरिक्त विषाक्त प्रभावों को बढ़ावा दिए बिना कोशिका विभाजन को रोकने के लिए किया जा सकता है। जब हमने  सीडीके4/6 अवरोधकों में अंग-संवर्धित मानव खोपड़ी के बालों के रोम को स्नान करवाया था और पाया कि  बालों के रोम टैक्सन के हानिकारक प्रभावों के प्रति बहुत कम संवेदनशील थे।"  उन्होेंने आगे जानकारी दगी, "हमारे अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पहले यह समझना था कि हेयर फॉलिकल्स ने टैक्सेन कीमोथेरेपी के लिए वास्तव में कैसे प्रतिक्रिया दी। हमने देखा कि हेयर फॉलिकल के आधार पर विशेष डिवाइडिंग सेल्स जो स्वयं बालों के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं और स्टेम सेल जहां से वे उत्पन्न होते हैं, वे टैक्सेन के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील पाए गए। इसका नतीजा यह समझ में आया कि हमें इन कोशिकाओं को अवांछित कीमोथेरेपी प्रभावों से सबसे अधिक बचाना चाहिए ।

 



टैक्सेन बहुत महत्वपूर्ण कैंसर रोधी दवाएं हैं जिनका आमतौर पर इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, स्तन या फेफड़े के कार्सिनोमा वाले रोगी और विशेष रूप से स्तन कैंसर के रोगियों में बहुत परेशान करने वाले और कभी-कभी लंबे समय तक चलने वाले बालों के झड़ने के लिए चिंता पैदा कर सकते हैं।

 


somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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