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हवा की क्वालिटी बजा रही भारत के लिए खतरे की घंटी | Air quality sets alarm bells ringing for India

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 शिकागो विश्वविद्यालय में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत के वायु प्रदूषण के उच्च स्तर ने समय के साथ बेहद खतरनाक रूप से  भौगोलिक रूप से विस्तार किया है।"

 रोजाना की खबरों में सबसे अप्रत्याक्षित खबर यही होती है कि सबसे सूखे व गर्म रेतीले स्थान में बर्फ गिर रही है। रिकॉर्ड स्तर पर एेसी जगहों पर तेज बारिश हो रही है, जहां लोग पानी की एक बूंद के लिए तरस जाते थे। गर्मी के मौसम में अचानक से तापमान का गिरना और ठंड के मौसम में तापमान में उछाल आना, ये  उदाहरण इस बात की ओर संकेत करते हैं कि हमारा विश्व, आज जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है।  इसके साथ ही वायु प्रदूषण भी अपनी भूमिका निभा रहा है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स) की एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है कि वायु प्रदूषण से लगभग 40 प्रतिशत की जीवन प्रत्याशा कम हो सकती है। अध्ययन के ट्रेंड्स के अनुसार प्रदूषण के खतरनाक रुझान मध्य, पूर्वी और उत्तरी भारत में रहने वाले करीबन 480 मिलियन लोगों को प्रभावित करेंगे, इसमें हमारे देश की राजधानी नई दिल्ली भी शामिल है।


हालांकि, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लक्ष्यों पर गौर किया जाए, तो देश की समग्र जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने का एक अच्छा मौका है।  नई दिल्ली के लिए 3.1 वर्ष और देश भर के लिए 1.7 वर्ष तक लाइफ एक्सपेक्टेंसी (समग्र जीवन प्रत्याशा ) को बढ़ाया जा सकता है।  इस रिपोर्ट में एनसीएपी कार्यक्रम की सराहना की गई है और कहा गया कि एनसीएपी का उद्देश्य, प्रदूषण को 2024 तक 102 सबसे प्रदूषित शहरों में 20से 30 फीसदी तक कम करना है। इस प्रदूषण को कम करने के लिए औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों के निकास में कटौती,  परिवहन ईंधन और बायोमास जलाने और धूल प्रदूषण को कम करने के लिए कड़े नियमों को लागू करना शामिल है। इसके लिए बेहतर निगरानी प्रणाली की व्यवस्था भी जरूरी होगी।


एक अमरीकी शोध में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण की वजह से 40 फीसदी भारतीयों की समग्र जीवन प्रत्याशा  9 वर्ष से अधिक हो जाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार, आज के वायु प्रदूषण के स्तर के साथ एक औसतन वैश्विक नागरिक को जीवनकाल में  2.2 वर्ष का जीवन कम मिलेगा।  अगर समय पर एक्शन नहीं लिया गया, तो इस प्रक्रिया में करीबन 17 अरब साल का नुकसान होगा। रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को धूम्रपान, कार दुर्घटना या एचआईवी/एड्स की तुलना में अधिक खतरनाक और जानलेवा माना गया है।


अगर भारत में वायु प्रदूषण के खिलाफ वक्त पर एक्शन ले लिया जाता है, तो लोगों की जीवन प्रत्याशा 5.9 वर्ष बढ़ सकती है। इसी तरह  बांग्लादेश और नेपाल के नागरिकों के 5.4 वर्ष और पाकिस्तान के बाशिंदों के 3.9 साल बढ़ जाएंगे।ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन ही इन देशों में उत्सर्जन और बढ़ते प्रदूषण के प्रमुख चालक हैं।


यह अध्ययन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के आधार पर आया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख चालकों के रूप में उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों को आधार पाया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि आने वाले वर्षों में चरम घटनाओं की आवृत्ति बढ़ने के लिए तैयार रहा चाहिए, क्योंकि पर्यावरणीय परिवर्तन जारी हैं। ग्रीनपीस इंडिया की एक रिपोर्ट ने इससे पहले भारत में वायु प्रदूषण की मार झेल रहे कई राज्यों की भयावह तस्वीर पेश की थी।

somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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