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अफ्रीका से प्रारंभिक मनुष्यों को हरे-भरे आर्द्रभूमि ने आकर्षित किया था| Lush wetlands lured waves of early humans out of Africa, stone tools suggest

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वैज्ञानिकों ने वर्षों से जाना है कि अरब ने प्रारंभिक मानव प्रवासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, नया अध्ययन इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नवीनतम खुदाई से प्राप्त औजारों के माध्यम से सबसे व्यवस्थित मानचित्रण प्रस्तुत किया है। 

गलों के नीचे की दफ्न दुनिया

 चार लाख साल पहले हमारे पूर्वज कहां से कहां तक पहुंचे, ये सारे खुलासे जमीन, रेगिस्तान, जंगलों के नीचे की दफ्न दुनिया बताती है। हाल में एक शोध ने यह बात सामने रखी है कि  रेगिस्तान की  सैटेलाइट इमेजों से काफी कुछ सामने आ रहा है।  अरब प्रायद्वीप के रेत के खेतों के बिल्कुल अलग रूप को दर्शाती है ये इमेज।  प्रागैतिहासिक झीलों का सूखना आदि के बारे में इमेजों में उभरे हल्के दबाव और परत के सूक्ष्म रंग परिवर्तन कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते हैं।

 क्यों इस तरफ ध्यान खिंचा शोधार्थियों का

आठ साल पहले, नेफुड रेगिस्तान में एक प्राचीन बहुरंगी झील ने शोधकर्ताओं का ध्यान खींचा।   एक नई अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया है कि जब वैज्ञानिकों ने इसकी प्राचीन तटरेखाओं की खुदाई की, तो उन्हें हजारों पत्थर के औजार मिले, जो  इस बात के प्रमाण हैं कि होमो सेपियन्स और उनके रिश्तेदारों के कुनबे कम से कम पिछले चार लाख साल से से अरब के अंदरूनी हिस्सों में प्रवास करते रहे हैं।

2013 में रिमोट इमेजिंग स्पेशलिस्टों ने की पुष्टि

आज जिस  कम आबादी वाले नेफुड में हम सिर्फ हवा से इधर-उधर उड़ते स रेत के टीलों और सूखी झाड़ियों से भरा पाते हैं, असल में पिछले उत्खनन और पेलियोक्लाइमेट मॉडल से पता चला है कि पिछले आधे मिलियन सालों (पांच लाख साल)  की संक्षिप्त अवधि ने इस क्षेत्र में मौसमी वर्षा से निचली घाटियों को झीलों में और इसकी खाई को नदियों में बदल दिया। संक्षेप में, कठोर रेगिस्तान एक हरे-भरे घास का मैदान बन गया , जो किसी  "हरे-भरे अरब" से कमतर नहीं था। इस बात की पुष्टि 2013 में रिमोट इमेजिंग स्पेशलिस्टों ने भी की है, जिन्होंने उत्तरी सऊदी अरब के पश्चिमी नेफुड में कई प्राचीन झीलों की खोज की, जो उपग्रह चित्रों में असामान्य रूप से रंगीन दिखाई दे रहीं थीं।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमन हिस्ट्री (एसएचएच) में पुरातत्वविद् माइकल पेट्राग्लिया को इस बात का संदेह है कि यहां की तलछट के संगमरमर के बैंड में कई अवधियों तक जल निकासी और फिर से भरने की प्रक्रिया होती रही।

शोधकर्ताओं ने उत्खनन प्रणाली का उपयोग करते हुए, झील के तल में खाई खोदी। उन्होंने परतों को वैकल्पिक रूप से स्टिमुलेटिड ल्यूमिनेसिसेंस के साथ दिनांकित किया। यह एक तकनीक है, जो यह निर्धारित करती है कि रेत के दाने आखिरी बार सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कब आए थे और उन्होंने प्रत्येक परत से जुड़े पत्थर के औजारों को नोट किया। उनकी खुदाई से पता चला कि खल अमायशन 4 में पेलियोलेक्स (पैलियो काल की झीलें) छह अलग-अलग समय में बनीं और सूख गईं।

 नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 400,000, 300,000, 200,000, 100,000, और 55,000 साल पहले की खोई हुई पांच झीलों में से पत्थर के औजार का संबंध पाया। इसी तरह एक अन्य पेलियोलेक , जो जुब्बा ओएसिस के पूर्व में लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसमें खुदाई से प्राप्त औजारों से उनकी कार्बन डेटिंग 200,000 और 75,000 साल पहले की प्राप्त हो रही है।

नई खुदाई में कोई होमिनिन जीवाश्म नहीं मिला

पत्थरों के औजारों के अलावा,  शोधकर्ताओं ने कई सूखी झीलों में जीवाश्म भी खोजे निकाले हैं। जानवरों की हड्डियों को भी पाया गया, जिससे पता चलता है कि बड़े अफ्रीकी जानवर जैसे दरियाई घोड़े, हाथी और शुतुरमुर्ग भी अफ्रीका से बाहर इस हरे मार्ग का अनुसरण करते रहे, कम से कम गीले मौसम में। नई खुदाई में कोई होमिनिन जीवाश्म नहीं मिला।

किंग सऊद विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद् और इस अध्ययन के सह-लेखक अब्दुल्ला अलशरेख का कहना है कि जो सहस्राब्दियों से "रेत के नीचे बहुत कुछ छिपा हुआ है", वह अब सामने आएगा।

सबसे हाल के औजारों (55000साल पहले के) से पता चलता है कि ये निएंडरथल से जुड़े हुए औजारों से काफी मिलते-जुलते हैं। वैज्ञानिकों ने निएंडरथल के अवशेषों को अरब प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी किनारे की ओर, वुडलैंड से ढके मध्य-पूर्व में गुफाओं में पाया है। नए निष्कर्ष से अनुमान लगाया जा सकता है कि निएंडरथल भी प्रायद्वीप के हरे भरे घास के मैदान में चले गए और हो सकता है कि उन्हें वहां अपनी ही प्रजातियों से  सामना करना पड़ा हो।




somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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