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धरती पर मौजूद है सबसे गर्म चट्टान | 'Hottest rock on earth' is discovered

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कभी-कभी हमें इतना अंदाजा नहीं होता है कि हमारी साधारण खोज इतिहास रचेगी, एेसा ही हुआ एक शोधार्थी के साथ, जिसने 2011 में जिस चट्टान को खोजा था, वह आज के रिकॉर्ड में धरती पर मौजूद सबसे गर्म चट्टान के रूप में पहचाना जाएगा। आज वैज्ञानिकों ने इस खोज को नए रूप में स्वीकार करते हुए 'हॉटेस्ट रॉक अॉन अर्थ' यानी 'धरती पर सबसे गर्म चट्टान' के रूप में पुष्टि की है।

यह टुकड़ा क्यूबिक जिरकोनिया का है, जिसे कनाडा स्थित 28 किमी. चौड़ी मिस्टास्टिन लेक क्रेटर से बरामद किया गया है। इसे पिघलने के लिए > 2,370 डिग्री सेल्सियस का आवश्यकता होती है, जो पृथ्वी की सतह पर सबसे गर्म तौर पर दर्ज किया गया है।

दोनों अध्ययनों में नमूनों का तापमान 2,370 डिग्री सेल्सियस रहा

करीब एक दशक से अधिक समय बाद शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने के लिए कि पृथ्वी पर सबसे गर्म चट्टान के रूप में क्या माना जा सकता है, जो हाल के एक अध्ययन के जरिए सामने आया, जिसमें जिस चार अतिरिक्त जिक्रोन के कणों के तापमान का अध्ययन किया गया, वह पिछले चट्टान के रिकॉर्ड के बराबर यानी 2,370 डिग्री सेल्सियस होने की पुष्टि हुई।  अब उसी साइट से खनिजों के एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि चट्टान के नमूनों ने यह रिकॉर्ड चिलचिलाती गर्मी वास्तविक थी, जो उल्कापिंड प्रभाव के कारण हुई थी।  2011 में पीएच.डी. छात्र माइकल जानेटी लैब्राडोर में मिस्टास्टिन लेक इम्पैक्ट क्रेटर में ओसिंस्की के साथ काम कर रहे थे, जब उन्हें एक कांच की चट्टान मिली थी, जिसके अंदर छोटे जिक्रोन के कण जमे हुए थे। बाद में उस चट्टान का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उल्कापिंड प्रभाव के परिणामस्वरूप 2,370 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बना है। इन निष्कर्षों को 2017 में वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के जरिए अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स नामक जर्नल में साझा किया गया था।

 मौका एक खोज के रूप में महत्वपूर्ण साबित हुआ

चट्टानें लगभग 36 मिलियन वर्ष पहले एक उल्कापिंड के प्रभाव में पिघली और पुर्नगठित हुईं, जो आज लैब्राडोर, कनाडा में है। उल्कापिंड प्रभाव ने 28 किमी.मिस्टास्टिन क्रेटर का गठन किया, जहां माइकल जानेटी, जो तब वाशिंगटन विश्वविद्यालय सेंट लुइस में डॉक्टरेट के छात्र थे, उन्होंने एक कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा वित्त पोषित अध्ययन के दौरान कांच की चट्टान को उठाया था । यह मौका एक खोज के रूप में महत्वपूर्ण साबित हुआ। चट्टान के विश्लेषण से पता चला है कि इसमें जिक्रोन, अत्यंत टिकाऊ खनिज होते हैं जो उच्च गर्मी के तहत क्रिस्टलीकृत होते हैं। जिक्रोन की संरचना दिखा सकती है कि जब वे बने थे तब वह कितना गर्म था।

 

चार नमूनों से व्यापक दृष्टिकोण मिला

नए अध्ययन में, कनाडा में पश्चिमी विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और प्रमुख लेखक गेविन टोलोमेटी और उनके सहयोगियों ने क्रेटर से नमूनों में चार और जिक्रोन के कणों का विश्लेषण किया, क्योंकि प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि करने के लिए, शोधकर्ताओं को एक से अधिक जिक्रोन की जानकारी की आवश्यकता थी।  ये नमूने भिन्न भिन्न स्थानों में विभिन्न प्रकार की चट्टानों से आए थे, जिससे इस बात का अधिक व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त हुआ कि उल्कापिंड  प्रभाव ने जमीन को कैसे गर्म किया। एक नमूना इस प्रभाव में बनी एक कांच की चट्टान से थी, दो अन्य चट्टानों से, जो पिघली और फिर से जम गई थी और एक सेडीमेंट्री यानी तलछटी चट्टान से थी, जो प्रभाव में बने कांच के टुकड़े के साथ थी।

 अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित

अध्ययन का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान के पोस्ट-डॉक्टरेट छात्र गेविन टोलोमेटी ने किया। इसमें सह-लेखकों में नासा जॉनसन स्पेस सेंटर से टिममन्स एरिकसन, पृथ्वी विज्ञान विभाग से गॉर्डन ओसिंस्की और कैथरीन नीश और थर्मोमेकेनिकल मेटलर्जी की प्रयोगशाला से केरॉन सिरिल शामिल रहे थे। इस अध्ययन को अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स जर्नल में प्रकाशित किया गया।

 

सबसे बड़ा प्रयोजन यह है कि हमें इस बात का बेहतर अंदाजा हो रहा है कि ये असरदार पिघली हुई चट्टानें कितनी गर्म होती हैं, जो शुरू में उल्कापिंड की सतह से टकराने पर बनी थीं और यह हमें पिघलने के इतिहास के बारे में बताती है, इसके खास गड्ढे यानी क्रेटर के ठंडे होने का बेहतर अंदाजा देती है।
गेविन टोलोमेटी,
पोस्ट-डॉक्टोरल छात्र, पश्चिमी ओंटारियो विश्वविद्यालय

 

Reference :
https://doi.org/10.1016/j.epsl.2022.117523

somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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