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अपना और साथियों के घाव खुद ही ठीक कर लेते हैं चिम्पांजी | Chimpanzees observed treating wounds of others

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चिम्पांजी नियमित रूप से कीड़ों को पकड़ते हैं और अपने घावों पर लगाते हैं। इस तरह वे अपना और अपने दल के सदस्यों का ख्याल रखते हैं। इस शोध को करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

 
बायोलॉजी में प्रकाशित एक नए शोध-पत्र में ओस्नाब्रुक विश्वविद्यालय की डॉ. सिमोन पिका और उनके सहयोगियों ने चिम्पांजी के पहले अवलोकनों की रिपोर्ट जारी करते हुए लिखा है कि चिम्पांजी अपने खुले घावों और एक ही प्रजाति के सदस्य के घावों के लिए कीड़ों का उपयोग करते हैं।

कई जानवरों करते हैं खुद ही अपना इलाज

 डॉ. सिमोन पिका एक संज्ञानात्मक जीवविज्ञानी, जो ओस्नाब्रुक विश्वविद्यालय में संज्ञानात्मक विज्ञान संस्थान के साथ जुड़ी हुई हैं। डॉ. पिका के मुताबिक,  स्वयः औषधि सेवन करना या सेल्फ मेडिकेशन, जहां व्यक्ति रोगजनकों या परजीवियों का मुकाबला करने के लिए पौधों के हिस्सों या गैर-पोषक पदार्थों का उपयोग करते हैं , ठीक यह व्यवहार कीड़े, सरीसृप, पक्षियों और स्तनधारियों सहित कई जानवरों की प्रजातियों में देखा गया है,  लेकिन इंसानों के दो सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार, चिम्पांजी और बोनोबोस कृमिनाशक गुणों वाले पौधों की पत्तियों को निगलते हैं और आंतों के परजीवियों को मारने के लिए रासायनिक गुणों वाले कड़वे पत्तों को चबाते हैं। हालांकि, पश्चिम और पूर्वी अफ्रीका में अन्य दीर्घकालिक क्षेत्र स्थलों से दशकों तक शोध के बावजूद, खुले घावों पर जानवरों के बाहरी पदार्थ के अनुप्रयोग को अब तक कभी भी प्रलेखित नहीं किया गया है।

तीन साल पहले एक मादा चिम्पांजी का यह व्यवहार प्रकाश में आया

नवंबर 2019 में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी की एक विकासवादी जीवविज्ञानी और ओजौगा चिम्पांजी परियोजना में बतौर वॉलेंटियर जुड़ी हुईं एलेसेंड्रा मेकारो ने एक मादा चिम्पांजी सुजी को देखा, जो अपने किशोरावस्था के बेटे सिया के पैर पर घाव का निरीक्षण कर रही थी और हवा में कीट पकड़कर उसे मुंह में डालकर नरम कर फिर उसे घाव पर लगा रही थी।
हालांकि ओजौगा चिम्पांजी प्रोजेक्ट टीम के सदस्य 7 साल तक पश्चिनी अफ्रीका के गैबॉन स्थित लोअंगा नेशनल पार्क में चिम्पांजी के इस समूह का अध्ययन कर रहे थे लेकिन पहले इस तरह के व्यवहार को नहीं देखा गया। मेकारो के वीडियो बनाए जाने के बाद, टीम ने इस प्रकार के घाव के प्रति व्यवहार के लिए चिम्पांजी के समूह पर नजर रखनी शुरू की और नवंबर 201 9 से फरवरी 2021 तक समूह के 76 मामलों को डॉक्यूमेंट किया। इस समूह में 11 वयस्क नर, 2 किशोर नर, 1 बाल नर, चार वयस्क मादाएं, दो किशोर मादाएं और दो बाल मादाएं थी, जिन्होंने अपने घावों के अलावा अपने साथियों के घावों पर कीटों को पकड़ कर लगाया था।

5 मि.मी. से छोटे और गहरे रंग के कीट पकड़ते हैं

शोध-पत्र के लेखकों के अनुसार, 19 घटनाओं में पांच वयस्क नरों, एक वयस्क मादा, एक बाल मादा ने इसी तरह का व्यवहार करते हुए अपने घावों पर एक कीट लगाया था। घावों पर कीट लगाने से पहले चिम्पांजी कीटों को हवा या पत्तों से पकड़ते हैं, अपने होठों के मध्य दबाकर गतिहीन कर लेते हैं , फिर खुले हुए घाव पर होठों का अपनी अंगुलियों के सहारे लगाते हैं। एेसा वे कई बार करते हैं। लेखकों के मुताबिक, ये कीट 5 मि.मी. से कम के आकार के होते हैं और गहरे रंग के होते हैं।

हमारे अवलोकन पहला सबूत प्रदान करते हैं कि चिम्पांजी नियमित रूप से कीड़ों को पकड़ते हैं और उन्हें खुले घावों पर लगाते हैं। अब हम इस तरह के आश्चर्यजनक व्यवहार के संभावित लाभकारी परिणामों की जांच करना चाहते हैं।
डॉ टोबियास डेसचनर,
प्राइमेटोलॉजिस्ट,
संज्ञानात्मक विज्ञान संस्थान,
ओस्नाब्रुक विश्वविद्यालय

somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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