पृथ्वी की 660 कि.मी. गहराई में बने हीरे से निकला नया खनिज
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के अंदर गहराई से खोदे गए हीरे की जिस खान से नए खनिज को खोजा है, यह एक आश्चर्यजनक खोज मानी जा रही है, हालांकि इस खनिज के मिलने की उम्मीद भू-वैज्ञानिक बहुत पहले से कर रहे थे। इस नए खनिज का नामकरण जाने-माने भूभौतिकीविद् हो-क्वांग (दवे) माओ के नाम पर * डेवमाओइट* ( Davemaoite ) रखा गया है।
खोज का दिलचस्प पहलू
यह खनिज पृथ्वी पर पाए जाने वाले उच्च दबाव वाले कैल्शियम सिलिकेट पेरोसाइट (CaSiO3) का पहला नमूना है। CaSiO3 का एक अन्य रूप, जिसे वोलास्टोनाइट (wollastonite) के रूप में जाना जाता है, जो आमतौर पर दुनिया भर में पाया जाता है, लेकिन डेवमाओइट में एक क्रिस्टलीय संरचना होती है जो केवल उच्च दबाव और पृथ्वी के मेंटल (बाहरी कोर और क्रस्ट के बीच फंसी पृथ्वी की मुख्य रूप से ठोस परत) में उच्च तापमान के तहत बनती है।
डेवमाओइट के मिलने की उम्मीद लंबे समय से थी और भूवैत्रानिकों को इसके पृथ्वी के मेंटल में प्रचुर मात्रा में और भू-रासायनिक रूप से महत्वपूर्ण खनिज होने की भी उम्मीद है। लेकिन वैज्ञानिकों को इसके अस्तित्व का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण कभी नहीं मिला, क्योंकि यह सतह की ओर बढ़ने पर अन्य खनिजों में टूट जाता है और वहां की ओर दबाव भी कम हो जाता है।
बोस्टवाना की खान से प्राप्त एक हीरे के विश्लेषण से, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 410 मील (660 किलोमीटर) नीचे प-पृथ्वी के मेंटल में बना है, उसके अंदर फंसे हुए डेवमाओइट के नमूने का खुलासा हुआ है। नतीजतन, अंतर्राष्ट्रीय खनिज संघ ने पिछले साल इस नए खनिज के रूप में डेवोमाओइट की पुष्टि की है।
सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे विवर्तन के जरिए सच सामने आया
नेवादा विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के ओलिवर त्सचुनर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने बोस्टवाना में ओरापा खदान ( दुनिया की सबसे बड़ी ओपनकास्ट हीरे की खदान) से खोदे गए हरे, अष्टकोणीय आकार के हीरे का अध्ययन किया।
नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध-पत्र के अनुसार
1987 में एक खनिज डीलर ने पासाडेना में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक खनिज विज्ञानी जॉर्ज रॉसमैन को यह हीरा बेच दिया था। इसके बाद ओलिवर त्सचुनर, रॉसमैन और उनके सहयोगियों ने कई साल पहले पृथ्वी की गहराई से मिले इस हीरे में फंसे खनिजों की जांच के हिस्से के रूप में इसका अध्ययन करना शुरू किया था। अध्ययन-दल ने सिंक्रोट्रॉन एक्स-रे विवर्तन (synchrotron X-ray diffraction) के रूप में जानी जाने वाली तकनीक के साथ डेवमाओइट नमूने का खुलासा किया, जो सूक्ष्म परिशुद्धता के साथ हीरे के भीतर कुछ स्थानों पर एक्स-रे की उच्च-ऊर्जा बीम को केंद्रित करता है तथा लौटने वाले प्रकाश के कोण और तीव्रता को मापकर शोधकर्ता समझ सकते हैं कि अंदर क्या है, क्या नहीं।
जब भूभौतिकीविद् डॉ. हो-क्वांग माओ ने सहमति दी
2018 में एक अन्य शोध दल ने दक्षिण अफ्रीका से पृथ्वी की गहराई से प्राप्त हीरे में कैल्शियम सिलिकेट पेरोसाइट खोजने की सूचना दी थी, लेकिन उन वैज्ञानिकों ने इस नए खनिज की आधिकारिक खोज का दावा नहीं किया, जैसा कि ओलिवर त्सचुनर की टीम ने किया। त्सचुनर ने नए खनिज के नामकरण के लिए ख्यात भूवैज्ञानिक डॉ. हो-क्वांग माओ को बुलाया और पूछा कि क्या वे उनके नाम से इस खनिज का नामकरण कर सकते हैं? चीन के शहर शंघाई स्थित उच्च दबाव विज्ञान और प्रौद्योगिकी उन्नत अनुसंधान केंद्र (HPSTAR) के निदेशक डॉ. माओ ने तुरंत सहमति प्रदान की और इस तरह अंतर्राष्ट्रीय खनिज संघ ने पिछले साल डेवमाओइट के नाम को मंजूरी दी। यह माओ के नाम पर दूसरा उच्च दबाव वाला खनिज है। 2018 में, चीन के शोधकर्ताओं ने एक प्रभाव क्रेटर से चट्टानों में एक अलग खोज करने की सूचना दी, जिसे उन्होंने माओकाइट नाम दिया था।
क्या कहते हैं भू-रसायनज्ञ और शोध-पत्र के मुख्य लेखक ओलिवर त्सचुनर
यह एक खनिज की दुर्लभ झलक है, जो सामान्य रूप से पृथ्वी की सतह पर मौजूद नहीं हो सकता, लेकिन ग्रह के अंदर गर्मी के प्रवाह में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यह खोज एक आश्चर्य के रूप में आई। भू-रासायनिक रूप से डेवमाओइट पृथ्वी के मेंटल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डेवमाओइट पृथ्वी के निचले मेंटल में तीन मुख्य खनिजों में से एक है, जो वहां सामग्री का लगभग 57% हिस्सा हैं। लेकिन यह तीन में से केवल एक ही है जो यूरेनियम और थोरियम को होस्ट करता है। खनिज की क्रिस्टलीय संरचना इन तत्वों के लिए कैल्शियम को आसानी से स्वैप करने की अनुकूलता प्रदान करती है, जो रेडियोधर्मी क्षय के माध्यम से गर्मी पैदा करते हैं
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