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जिंदा रहने के लिए बांस के अलावा फर्न और अन्य पेड़ों की पत्तियों भी खाते हैं रेड पांडा | Red Pandas also consume ferns/leaves besides bamboo to survive

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पहली बार बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी) और सिक्किम स्थित बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बीएसआई) के 12 वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि अन्य पांडा की प्रजातियों की तरह हमारे देश के पूर्वी हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाले लाल पांडा न केवल बांस खाते हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट पेड़ों की फेम्स या पत्तियों का भी सेवन करते हैं। अध्ययन बताता है कि  बांस खाने वाले अन्य पांडाओं से अलग ये रेड पांडा आहार के रूप में  लेपिसोरस फ़र्न और बेतूला, एंगेलहार्डिया, रोडोडेंड्रोन और क्वेरकस जैसे अन्य पेड़ों की पत्तियों का सेवन करते हैं।

टीम ने 'रेड पांडा' के आवासों की रक्षा और पता लगाने में नीति निर्माताओं की सहायता करने के इरादे से इस प्रजाति के आहार का विश्लेषण का अध्ययन किया। यह अध्ययन हाल ही में  प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर ग्रुप के  'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुआ है। 

बीएसआईपी की वैज्ञानिक स्वाति त्रिपाठी ने बताया कि टीम ने गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों के दौरान दार्जिलिंग और पूर्वी हिमालय में पेड़ों से एकत्र किए गए पांडा के डंग (अपशिष्ट, गोबर) के नमूनों का विस्तृत मल्टी-प्रॉक्सी विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में वैज्ञानिक ने पहले से उपलब्ध रेकॉर्ड्स और आंकड़ों की सहायता से पिछले पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्निर्माण करने की कोशिश की,  फिर इस जंतु के भोजन पैटर्न या पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित किसी भी चीज़ में परिवर्तन का अध्ययन किया। खास बात, रेड पांडा अत्यधिक प्रतिबंधित आवास में रहता है, जो जलवायु परिवर्तन और मानव अतिक्रमण के कारण  तनाव में है। रेड पांडा अपने आवास (पूर्वोत्तर भारत और चीन) में एक अत्यधिक लुप्तप्राय और खतरे वाली प्रजाति में से एक है और इसका विस्तार पांच एशियाई देशों नेपाल, भारत, भूटान, उत्तरी म्यांमार और चीन तक ही सीमित है।

हिमालयी लाल पंडों को गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और उन्हें 'जीवित जीवाश्म' के रूप में माना जाता है क्योंकि वे काले और सफेद भालू सहित किसी भी अन्य जीवित प्रजाति से संबंधित नहीं पाए गए हैं। आहार के पैटर्न के मुताबिक भी लाल पांडा से अन्य प्रजातियों के पांडाओं को कोई संबंध नहीं मिल पाया है। लाल पांडा  पूर्वी हिमालय में सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव प्रजातियों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
साधन के बासुमतारी, 
वरिष्ठ वैज्ञानिक, बीएसआईपी

 
somadri
पुराने ब्लॉग-पोस्टों को नवीनतम रूप दिया जा रहा है, जो मेरे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को समर्पित पोर्टल *सोम-रस* पढ़े जा सकेंगे। Study Observes Mysteries- Research Accelerates Science का संक्षिप्तीकरण है SOM-RAS, जिसकी अवधारणा 2007 में की गई थी, थोड़ा-बहुत लिखना भी हुआ, बाकी अभी भी डायरी के पन्नों में सिमटा हुआ है, डिजाइन से लेकर कंटेंट संयोजन तक। पुराने पोस्ट में मनो-विज्ञान से संबंधित अनुभवों और संस्मरण लिखती रही। नियमित लेखन नहीं हो सका, कुछ समयाभाव में , तो कुछ आलस में। पराने पोस्ट नए कलेवर में सोम-रस के सब-डोमेन में उपलब्ध होंगे। मेरा विज्ञान और साहित्य के प्रति नैसर्गिक झुकाव रहा है। संक्षेप में, मैं हूँ पेशे से पत्रकार, पसंद के अनुसार ब्लॉगर, जुनून के हिसाब से कलाकार, उत्कटता की वजह से लेखक, आवश्यकता के लिए काउंसलर | पर, दिल से परोपकारी और प्रकृति से उद्यमी हूं।

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